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Adivasi HO Samaj Mahasabha – Reg No:855/ Year 2009-10 Jharkhand

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Reg No:855/ Year 2009-10 Jharkhand

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हेरो पर्व

प्रकृति की उस अवस्था मे हो जन जाति हेरो पर्व को मनते है। जब प्रकृति अपनी यौवन काल में सृष्टि के बीच को धरण करती है। अथार्त कृषि के संबध मे देखा जाए तो धान की बुआई का उतस्व को हेरो पर्व कहते है। धान को जमीन में बोने की प्रक्रिया में शामिल सभी जीवों को सम्मान देने की  आस्था पर्व को ही हेरो के नाम से ही जाना जाता है।

आदिकाल से प्रचलित लोक कथा के संबध में कहा जाता है कि लुकु कोड़ा और लुकु कुड़ी के पोते सुरमी, दुरमी और मदे के काल मं जब मदे गर्भ अवस्था में सुरमी के संग अपने होने वाले बच्चे को इस सृष्टि के राजा के रुप में पाने के लिए एवं सपने को साकार करने के लिए  बराहा सिंगा के संरक्षण मे मशरुम को ग्रहण करने की इच्छा से जंगल को प्रस्थान किये अपने पत्नी की इच्छा को पुर्ण करने लिए सुरमी खतरनाक बरहा सिंगा से लड़ बैठा और वीर गाति (शहीद) को प्राप्त किया। लड़ाई के दौरान मशरुम बराहा सिंगा के पैरो के द्वारा मदे को स्थानतंरित किया गया। अपने पति के मौत का गम और भविष्य के बच्चे को सृष्टि का राजा बनाने हेतु मशरुम को पका कर ग्रहण किया। इसी की याद में हेरो पर्व आज भी हो जन जतियों के बीच धर्म कर्म से मनाया जाता है।

 

 

 

मागे पर्व बह: पर्व हेरो पर्व जोमनमा

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