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Adivasi HO Samaj Mahasabha – Reg No:855/ Year 2009-10 Jharkhand

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रुतू

रुतू आम तौर पर बाँस के ठहनियों से बनायी जाती है। रुतू को नारी का प्रतीक माना गया है। अपनी सुविधा अनुसार दो प्रकार के रुतू को चलन मे लाया गया, एक मईल रुतू, दूसरा मूल्य रुतू। रुतू में साधारणता कुल सात छेद होते हैं। जिसमें एक छेद अलग से और छः छेद इकट्ठा होता है।

रुतू का इतिहास संभवता लुकु कोड़ा के जमाने से चला आ रहा है। इन्होने सर्वप्रथम हेपेन्डोम वृक्ष (एक प्रकार का पेड़) का रुतू निर्माण कर बनाया और बजाया था।

 

 

दमा दुमेंग बनाम रुतू

सुसून दुरं किलि

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