स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है । शिक्षा ही एक ऐसी मसाल है जिससे सभी प्रकार के अंधेरो को उजाले मे परिवर्तित किया जा सकता है। जिस समाज में शिक्षा नही वह समाज सदियों तक अंधकार के गर्त में चला जाता है। इसलिए समुदाय आधारित शिक्षा जो मातृभाषा के मध्यम से हो, वह शिक्षा स्थायी एवं परोपकारी होती है। इसलिए हो समुदाय शिक्षा के मशाल को ‘हो’ मातृभाषा वारड.-चिति के द्वारा प्रकाशित करना चाहता है। आदिवासी जीवन पद्धती पर आधारित शिक्षा को आधुनिक तकनीक के योग से बेहतर दिशा देने को तात्पर्य है। ‘हो’ भाषा वारड.-चिति के अलावा विश्व के अन्य भाषाओं मे महारत हासिल कर अपने समुदाय के गीत, संगीत, साहित्य, इतिहास और अन्य ज्ञान को दूसरे भाषाओं में प्रकाशित कर लोहा मनवा सकता है। अपने स्तर पर विद्यालयों के निर्माण संचालन पठन-पाठन, शिक्षा-प्रशिक्षण, प्रकाशन, वितरण और शोध-परख कार्य में लोगो की रुचि निंरतर हो, ऐसा हो समाज महासभा का प्रयास है।