सुनीता बुढीऊली 2019 की गोल्ड मेडलिस्ट है जो आदिवासी ‘हो’ समुदाय की संघर्षशील महिला है जिन्होंने साबित कर दिखाया कि परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, जुनून – जज्बा और शिद्दत के साथ कुछ काम शुरू करे तो पूरी कायनात आपको सफल करने में लग जाती है , जी हां सुनीता बुढीऊली जिन्होंने ‘हो’ भाषा की पढ़ाई 10वीं कक्षा से शुरू की और 2019 में m.a कंप्लीट किया, इनको राज्यपाल द्वारा गोल्ड मेडल एवं सर्टिफिकेट 2022 में मिला, बता दें सुनीता b.ed कर रही हैं जो इस साल कंप्लीट करेंगी और साथ ही UGC- Net दो बार qualified है और उन्होंने कम्युनिटी टीचर के रूप में 5 साल आदिवासी ‘हो’ समाज महासभा की ओर से कस्तूरबा स्कूल झीकपानी में पढ़ाने का काम किया है,
सुनीता समाज के शिक्षा के प्रति काफी संवेदनशील है उनका सपना है ‘हो’ समाज को आगे लाने के लिए b.ed कॉलेज शुरू करना चाहती हैं और उनके इस सपने को साकार करने में उनके जीवन साथी श्री कृष्ण चंद्र बोरदा जी, जो खुद ‘हो’ भाषा के जानकार हैं और उन्होंने JNU से पढ़ाई की है , और वर्तमान में आदिवासी ‘हो’ समाज महासभा संस्था के केंद्रीय अध्यक्ष भी हैं अगर हम कृष्ण चंद्र बोदरा की बात करें तो उन्होंने भी कई ऐसे कम्युनिटी टीचरों को ट्रेनिंग दिया है जो ओडिशा, झारखंड और बंगाल में वारंग क्षिति लिपि के सेंटरों में पढ़ा रहे हैं तुरतुंग प्रोजेक्ट जो Tata Steel और महासभा के संयुक्त तत्वधान द्वारा चलाया जा रहा है, बता दें बोदरा जी झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग के साथ भी ‘हो’ भाषा को लेकर काफी काम कर रहे हैं, ‘हो’ भाषा की किताबें छापने में उनका बड़ा योगदान रहा है ।
हमारे ‘हो’ समाज की ओर से सुनीता बुढीऊली जी को उनके उज्जवल भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देते हैं एवं वह हमारे समाज के लिए शिक्षा की रोल मॉडल बने ऐसी कामना करते हैं